रिपोर्टर संजय वर्मा
आष्टा क्षेत्र काछीपुरा स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर में मनाए जा रहे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा एवं स्थापना महोत्सव के तहत मंगलवार को भगवान श्रीराधा कृष्ण,श्रीराम,श्री लवकुश,जय महाकाल के जयकारों की बीच प्राण प्रतिष्ठा की गई।सात दिवसीय महोत्सव के तहत प्रतिमाओं को बैण्ड बाजे के साथ सोमवार को नगर भ्रमण करवाया गया।
प्रतिष्ठा के सभी संस्कार पूर्ण होने के बाद मंगलवार को सुबह से आयोजन हुए। नगरपुरोहित पंडित मयूर पाठक,पंडित मनीष पाठक पंडित डा दीपेश पाठक पंडित लखन लाल शर्मा,के सान्निध्य में पंचकुंडीय हवन किया गया। श्रद्धालुओं ने आहुतियां देकर सुख समृद्धि की कामना की। इसी दौरान शुभ मुहूर्त में श्रीराधा कृष्ण,श्रीराम दरबार,श्री लवकुश भगवान व शिव परिवार की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके बाद श्रृंगार कर देव प्रतिमाओं के दर्शन करवाए तो मंदिर जयकारों से गूंजायमान हो उठा। आरती कर प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर कुशवाह समाज व नगर के धर्मप्रेमी जन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में अतिथियों का दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया।*कथा में सुनाया लवकुश वंश वृतांत* प्राणप्रतिष्ठा स्थल पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन लवकुश वंश की उत्पत्ति ,सुदामा चरित्र, नव योगेश्वर संवाद द्वादश स्कंध प्रसंगों का वर्णन पं. डा दीपेश पाठक द्वारा किया गया। कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन करते हुए शास्त्री ने कहा की भागवत कथा के श्रवण मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। कथा के श्रवण मात्र से ही व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं, विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथा के अंत में महाआरती की गई। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान बीच-बीच में सुंदर झांकियां प्रस्तुत की गई।
कथा में बढ़-चढ़कर भाग लेते हुए श्रद्धालु नृत्य में रत रहे.