संजय वर्मा 9893463143
नपाध्यक्ष की पहल से पशुओं के लिए रखवाएं सीमेंट के पानी के कुंड
आष्टा। अंचल सहित संपूर्ण प्रदेश भर में गर्मी अब अपने पूरे शबाब पर है। तापमान 44 डिग्री के पार पहुंच रहा है। हालात यह है कि सुबह 9 बजे से सूरज की आग उगलती किरणे लोगों को झुलसाने लगती है। दोपहर से लेकर देर शाम तक सड़कें सूनी नजर आती हैं, लोगों के हाल बेहाल हैं। यदि 10 मिनट के अंतराल में लोगों को ठंडा पानी, शीतल पेय पदार्थ न मिले तो फिर हालात बेकाबू होने लग जाते हैं। गर्मी से बचने के लिए हर कोई जोर-जतन करते दिखता है, लेकिन ऐसी परिस्थितियों में उन प्राणियों का सोचिये जो न तो अपनी व्यथा को बता सकते और न ही कोई इंतजाम कर सकते। भीषण गर्मी हो या फिर कितनी भी प्यास लगी हो कोई ध्यान नहीं देता। मूक प्राणी भूख और प्यास मिटाने के लिए शहर में यहां से वहां भटकते रहते हैं। इन सबके बीच नपाध्यक्ष श्रीमती हेमकुंवर मेवाड़ा ने नई पहल करते हुए नगर के अनेक सार्वजनिक स्थलों पर गोलाकार सीमेंट की छोटी ठेल रखवाने हेतु नपा के जल शाखा प्रभारी को निर्देशित किया था। जिसके परिणामस्वरूप नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा द्वारा पूर्व पार्षद सुभाष नामदेव, पार्षद डॉ. सलीम, कमलेश जैन, रवि शर्मा, तेजसिंह राठौर, मेहमूद अंसारी की मौजूदगी में नगर के अनेक चौक-चौराहों पर गौमाताओं के लिए ठेल रखकर उनके पीने योग्य पामूक प्राणियों की सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य – रायसिंह मेवाड़ानी की व्यवस्था की गई।

नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा ने जलशाखा प्रभारी रमेश यादव को निर्देशित करते हुए कहा कि जहां-जहां भी सीमेंट के कुंड रखवाए गए है उन्हें समय रहते पानी से भरवाए जाए, यह कोशिश की जाए कि पूरे दिन कुंड खाली न हो। इस हेतु एक कर्मचारी को नियुक्त किया जाए जो नगर में राउंड लगाकर कुंडों में प्रतिदिन पानी भरवाने का कार्य करेगा। ताकि मवेशी सहित अन्य मूक प्राणियों की प्यास बुझ सके। नपाध्यक्ष प्रतिनिधि श्री मेवाड़ा ने सभी नगरवासियों से आग्रह किया है कि आप भी अपने घर, आंगन में ठेल, सकोरे की व्यवस्था करें, ताकि इस भीषण गर्मी में पशु-पक्षी अपने कंठ को पानी से तर कर अपने प्राणों की रक्षा कर सकें। मूक प्राणियों की सेवा करना सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। इस अवसर पर पूर्व पार्षद रवि सोनी, रमेश यादव, लोकेन्द्र धारवां, जितेन्द्र चौहान, सागरमल चतरमुथा, ओमनारायण शर्मा, आनंदलाल महेश्वरी, शैलेन्द्र डोंगरे आदि मौजूद थे।

